tag:blogger.com,1999:blog-1753139211573763618.post649820832817321316..comments2023-07-11T04:07:52.300-07:00Comments on जनवादी लेखक संघ, इन्दौर: संस्मरण- आर के लक्ष्मण की निगाह में ज्योति बसुपरेश टोकेकर 'कबीरा'http://www.blogger.com/profile/05135540814475441202noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-1753139211573763618.post-81685716843622443522010-02-07T09:17:29.488-08:002010-02-07T09:17:29.488-08:00परेश,
मुझे एक शेर याद आ गया (शकील आज़मी)
जब भी ...परेश,<br /><br /><br />मुझे एक शेर याद आ गया (शकील आज़मी) <br /><br />जब भी मिलते हो मुस्कुराते हो<br /><br />इतनी खुशियाँ कहाँ से लाते हो <br /><br />ये भी ठीक एसा ही है -<br /><br />एसे आलेख किस तरह लिखाते हो?प्रदीप कांतhttps://www.blogger.com/profile/09173096601282107637noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1753139211573763618.post-22576352427583620322010-02-04T17:22:28.439-08:002010-02-04T17:22:28.439-08:00niceniceRandhir Singh Sumanhttps://www.blogger.com/profile/18317857556673064706noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1753139211573763618.post-54266958347855388662010-02-04T10:29:48.442-08:002010-02-04T10:29:48.442-08:00परेश भाई मजा आ गया। सटीक तरीके से तुमने सही बात पक...परेश भाई मजा आ गया। सटीक तरीके से तुमने सही बात पकड़ी। सचमुच आर.के लक्ष्मण जैसे कार्टूनिस्ट की टिप्पणी हम सबको हौसला देती है। - प्रदीप मिश्र।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1753139211573763618.post-84267592882622262232010-02-04T07:34:57.257-08:002010-02-04T07:34:57.257-08:00वाकई एक मनहूस आदमी, कैसा राजनीतिक करियर? इतना लंबा...वाकई एक मनहूस आदमी, कैसा राजनीतिक करियर? इतना लंबा शासनकाल होने के बावजुद किसी भ्रष्टाचार के मामले में लिप्तता न होना, पार्टी के अनुशासन में रहना और अनुशासन के लिये प्रधानमंत्री के पद को ठुकरा देना, जनता की आवाज बुलंद करते रहना, ये भी कोई कैरीयर हुवा क्या? यही कारण है कि मिडिया में लगातार ज्योति बाबु और वामपंथियों पर अनर्गल लांक्षन लगाने का प्रक्रम चला रखा है। <br />उधर बंळलबाज दिलीप मंळल व उनके मंळलीबाज अविनाश ज्योति बाबु को इलिट हिन्दू सवर्ण बताकर श्रद्वाजली दे रहे हैं, तो नईदुनिया बसु की मृत्यु पर प्रथम पृष्ट पर सिद्घांर्थ शंकर राय की बसु के खराब राज के बारे में राय छाप रहा था। उधर पद्मश्री आलोक मेहता अपने आकाओं के तलवे चाटते हुवे नईदुनिया में ज्योति बाबु को सोमनाथ दा से तोलने की भोंडी कोशिश करते हुवे नजर आते है। <br />इन्हें क्या मतलब आर के लक्ष्मण के इत्तेफाक से।<br />जय हो!परेश टोकेकर 'कबीरा'https://www.blogger.com/profile/05135540814475441202noreply@blogger.com