जलेस की पत्रिका नया-पथ पढने के लिये क्लिक करे!

बुधवार, 5 मार्च 2008

पुर्नवास बद्दल एका मराठी माणुस ची अर्जी

सा.न.वि.वि.
महामहिम बाला साहेब,
विषय : पुर्नवास बद्दल एका मराठी माणुस ची अर्जी।
देर आये दुरूस्त आये! बाला साहेब ठाकरे जी चलो राज के ही बहाने सही आखिरकार आपको अपना अतीत याद आ ही गया। हम पिछले कई दिनो से परेशान थे कि मुंबई का बुजुर्ग गीदड़ इतने दिनो से अपनी भब्किया देने से भला कैसे चुका रह सकता है? इस शीत-निद्रा को तोडने के लिये बहुत बहुत धन्यवाद। अरे ये हिन्दू-हिन्दू भाई-भाई क्या बकवास लगा रखी है इन भगवाईयो ने। हम नहीं मानते हिन्दू विन्दू की बकवास को, ये तो वैसे भी अरबी शब्द है। हम तो बस एक बात जानते है वह है मराठी माणुस - मराठी सस्कृति की अस्मिता की रक्षा। और इस अस्मिता पर बार बार इन हिन्दी भाषी हिन्दूओ से ही सबसे ज्यादा हमला किया है। भूखे बंगालियो से आपने निपटा है आपने ही दक्षिण भारतीयो की अच्छी मजम्मत की, हम भुले नहीं आपके कारनामों को।
आपने बिल्कुल सही लिखा है सामना में कि मुंबई में रहने वाले प्रत्येक माणुस को नमक का कर्ज चुकाना ही होगा। लेकिन जो नहीं चुकायेगा उसे आपके होते हुवे राज के लिये नहीं छोडा जाना चाहिये। मोतोश्री की पेडिया चाटने वाले इन सल्लू-सलीम, तलपडे, नाना को क्या हो गया है? घोर अपमान है महामहिम आपका, उस कल के छोकरे राज की खातिर इन्होंने आपको बिसरा दिया। चांगल झाल कि तुम्हीं "सामना" मधे परत एकदा जुने तेवर दाखविले वरना हे रांगळे लोग तो समझुन राहिले होते कि आपका खुन पानी हो गया है। वैसे भी "कायर सावरकर" जैसो के माफीनामो के किस्सो से मराठी माणुस की अच्छी खासी किरकिरी हुवी है। अंग्रेजो की जी हुजुरी की तो क्या हुवा अब पुरानी गलती में सुधार इन भय्यनो को भगा कर करेंगे। अब समझ में आयेगा इनको, बहुत उचक रहे थे, बढिया हुवा राज ने पहले इनकी अच्छी धुलाई की अब आप मराठा धर्म का निर्वाह करते हुवे जंगे मैदान में उतर ही आये हो तो मजा आ जायेगा।
अरे यूपी बिहार में नौकरीया नहीं है बेकारी है भुखमरी है तो क्या मुंबई इन्हें डंप करने का एकमात्र स्थान है। अच्छी नौकरियो में, विदेशो में, उचे ओहदो पर डंप होने का जन्म सिद्ध अधिकार हम मराठी ब्राह्मणो का है। माफ किजीये मराठा माणुस का काम तो जंग लडना है वे क्या करेंगे नौकरी वौकरी करके। लेकिन फिर भी एक बार जरा बाहर के तत्वो को खदेड ले उसके बाद ब्राह्मण-मराठा समस्या को देखेंगे।
बहुत हो गया मुंबई अब सिर्फ महाराष्ट्रीयनो के लिये, बाकी सबको भगाओ मुंबई से। अरे घोर कलजुग आ गया है मुंबई में महाराष्ट्रीयन सिर्फ 30 फिसदी रह गये। अब हमें इसराइल की तरह सोचना पडेगा, अरे जितने महाराष्ट्रीयन पुरे देश व विदेश में है उतने तो आज मुंबई में नहीं है। इन्हें इसराइल की तर्ज पर इकट्ठा कर मुंबई में लाकर पुन: बसाना चाहिये। इथनिक क्लीनसिंग की ट्रेनिंग हम मोदी से ले चुके है तो इनका सफाया करने में कुछ खास समस्या नहीं आयेगी।
अरे कुछ लोग कह रहे थे कि राज को ऎसी गुंडागर्दी नहीं करनी चाहिये थी भाई भारत के अन्य प्रांतो में भी "कडी-भाऊ" बडी संख्या में रहते है अगर कही कुछ प्रतिक्रिया हो गयी तो, वैसे भी ये बडी डरपोक कौम है कहा भागते फिरेगी। हमारा कहना है क्यो भला मराठी माणुस बाहर की जुठन खाये अपने घर में बहुत रोटी है। परम पुज्य बाला साहेब ठाकरे जी मेंरी आपसे गुजारिश है कि मी पण एक मराठी माणुस आहे, वो भी ब्राह्मण, मराठी भी जानता हूँ हमारे वरिष्ठ साथी प्रो. भरत सिन्हा, प्रो. अजीज इन्दौरी, सनत कुमार इत्यादि मराठी के अच्छे ज्ञाता है, उनके संपर्क में मराठी को नजदीक से जाना। डा. यू. म. पठान का ज्ञानेश्वरी पर व्याख्यान भी मैने सुना है। मेरे आझोबा उनके वळील के साथ इन्दौर में आये, इसके पहले का इतिहास मुझे नहीं पता। शायद महाराष्ट्र के किसी गांव के मंदिर में पुजारी थे हमारे पूर्वज, वो गाव आज बांध के पानी में डुब चुका है। यहा हमारी थोडी बहुत पूंजी है जो इस प्रकार है :- एक इमरजेंसी कालीन पुराना मकान; बचपन की यादे; कुछ पुराने कुछ नये मित्र पता नहीं कौन सी जात - धर्म - भाषायी; समाज में कमाई थोडी बहुत इज्जत जो न तो मराठी माणुस होने के नाते है न ही राज स्टाइल की दादागिरी की कमाई। कृपा करके इसे सौदेबाजी न मानिये लेकिन विस्थापन का कुछ तो मुआवजा मिलना ही चाहिये। देखिये इसराइल में लौटे लोगो को कितनी सुविधाये मिली पहले ब्रिटेन से बाद में अमेरीका से। देखिये इसे लालच भी न समझे मेरा परिवार रूखी सूखी रोटी खाकर जी लेगा, पर जो मेंरी पूंजी यहा है उसे मुंबई में लौटाने की व्यवस्था करवाने की कृपा करे तो मेरी आपसे अर्ज है कि मेरी भी घर वापसी की इच्छा है। इच्छा क्या परिस्थितीया ही कुछ ऎसी बन रही है कि हम आना न भी चाहे तो यहा के लोग जल्द ही हमें यहा से भगा देंगे। आखिर दुनियाभर में बसे हमारे यहा के स्थानिय लोग भी लौट आने की फिराक में है उन्हें भी तो जगह चाहिये न। यहा की राज्य सरकार स्थानिय लोगो के पुर्नवास पर बढिया पैकेज देने का विचार भी कर रहीं है। आप तो मुंबई के माईबाप है कुछ हमारे बारे में सोचेंगे इसी आशा के साथ।
मोठ्यांना शा. नमस्कार लाह्नांना आर्शिवाद।
आपला मराठी माणुस
कबीरा

कोई टिप्पणी नहीं: