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रविवार, 28 फ़रवरी 2010

आज रंग है ऐ माँ रंग है री

बसंतोत्सव सही मायनों में समस्त मानव जाती की खुशियों का पर्व है, लेकिन बसंतोत्वस व होली का पाकीजा पर्व हिन्दोस्तानी तहजीब में खास स्थान रखता है। हिन्दोस्तान में सूफीयो के यहा तो हज़रत निज़ामुद्दीन के काल से ही बसंतोत्सव का पर्व बड़ी धुमधाम से मनाया जाता रहा है, बसंत रंग व होली के रूपको के बगैर तो सूफी परंपरा की कल्पना तक नहीं की जा सकती है। जब होली का रंग हज़रत शाह नियाज़ के कलाम पर पड़ता है तो ''हज़रत अली रंग बनते है हसन हुसेन खिलाड़''! तो उधर रेख्ता के उस्ताद अमीर ख़ुसरौ दहलवी की नायिका मेहबूब के रंग में डुबकर माँ से कहने लगती हैं कि ''मेरे महबूब के घर रंग है री''! मशहुर सूफी गायिका आबिदा परवीन के अनुसार "होली से जुड़ी पाकीज़ा यादें हैं, यह ख़ुशी जो है वो महबूब के आमद की ख़ुशी है जो दोनों मुल्कों में एक जैसी ही है. बचपन से मुझे याद है कि हर मज़हब के लोग इसमें शामिल होते थे"

होरी होय रही है
अहमद जिया के द्वार
हज़रत अली का रंग बनो है
हसन हुसेन खिलाड़
ऎसो होरी की धूम मची है
चहुँ ओर परी है पुकार
ऎसो अनोखो चतुर खिलाड़ी
रंग दीन्यो संसार
नियाज़ पियाला भर भर छिड़के
एक ही रंग सहस पिचकार
हज़रत शाह नियाज़

ہورہ ہوے رہی ہے
احمد جیو کے دور
حضرت علی کا رنگ بنو ہے
حسن حسین کھلار
ایسو ہوری کے دھوم مچی ہے
چہوں اور پری ہے پکار
ایسو انوکھو چتر کھلادی
رنگ دینیوں سنسار
نیاز پیارا بھر بھر
چھیدکے
ایک ہی رنگ سحس
پیچکار
حضرت شاہ نیاز


आज रंग है ऐ माँ रंग है री

मेरे महबूब के घर रंग है री
जग उजियारो जगत उजियारो
मैं तो ऐसो रंग और नहीं देखयो री
मैं तो जब देखयो मोरे संग है री
आज रंग है ऐ माँ रंग है री
देस-बदेस में ढूढ़ फिरी हूँ
तेरा रंग मैं भायों री
आज रंग है ऐ माँ रंग है री
अमीर ख़ुसरौ दहलवी

آج رنگ ہے اے ماں رنگ ہے ری
مورے محبوب کے گھر رنگ ہے ری
جگ اجیارو ۔ ۔ ۔ جگت اجیارو
میں تو ایسا رنگ اور نہیں دیکھی رے
میں تو جب دیکھوں مورے سنگ ہے ری
آج رنگ ہے اے ماں رنگ ہے ری
دیس بدیس میں ڈھونڈ پھری ہوں
تورا رنگ من بھائیوری
آج رنگ ہے اے ماں رنگ ہے ری
امیر خسرو دہلوی

5 टिप्‍पणियां:

विवेक रस्तोगी ने कहा…

होली की शुभकामनाएँ ।

शोभा ने कहा…

आज रंग है ऐ माँ रंग है री
मेरे महबूब के घर रंग है री
जग उजियारो जगत उजियारो
मैं तो ऐसो रंग और नहीं देखयो री
मैं तो जब देखयो मोरे संग है री
आज रंग है ऐ माँ रंग है री
देस-बदेस में ढूढ़ फिरी हूँ
तेरा रंग मैं भायों री
आज रंग है ऐ माँ रंग है री
amir khusro jee ka geet padhkar anaand aa gaya. aabhar.

Randhir Singh Suman ने कहा…

आपको तथा आपके परिवार को होली की शुभकामनाएँ.nice

Udan Tashtari ने कहा…

बढ़िया!


ये रंग भरा त्यौहार, चलो हम होली खेलें
प्रीत की बहे बयार, चलो हम होली खेलें.
पाले जितने द्वेष, चलो उनको बिसरा दें,
खुशी की हो बौछार,चलो हम होली खेलें.


आप एवं आपके परिवार को होली मुबारक.

-समीर लाल ’समीर’

प्रदीप कांत ने कहा…

बढ़िया!