जलेस की पत्रिका नया-पथ पढने के लिये क्लिक करे!

रविवार, 6 जनवरी 2008

जलेसं इन्दौर की मासिक रचना गोष्ठी एवं लघुपत्रिका का विमोचन (दिनांक: 5 दिसंबर 2007)

इन्दौर,
जलेस इन्दौर विगत अनेक वर्षो से नियमित रूप से मासिक रचना गोष्ठी का आयोजन करता रहा है, जिसके अंतर्गत शहर के, प्रदेश के तथा बाहर से आये अनेक अतिथि साहित्यकारों की रचनाओ का पाठ तथा चर्चा के कार्यक्रम सम्पन्न हुए है। इसी क्रम में उर्दू - हिन्दी साहित्यप्रेमीयो की बडी तादात में उपस्थिति के बीच 25 नवम्बर 2007 को न्यू मुस्लिम लाइब्रेरी, खजराना, इन्दौर में उर्दू एवं हिन्दी के कहानीकारो प्रो. हदीस अंसारी व सुश्री चारूशीला मौर्य का रचना पाठ एवं पठित रचनाओ पर चर्चा का कार्यक्रम आयोजित किया गया।
कार्यक्रम की शुरूआत जलेसं इन्दौर द्वारा प्रकाशित लघुपत्रिका "संवेदना" के जलेसं इन्दौर उपाध्यक्ष एवं न्यू मुस्लिम लाइब्रेरी के संचालक डॉ. अजीज इन्दौरी के हस्ते विमोचन से हुई। लघुपत्रिका का प्रथम अंक उपस्थित समस्त श्रोताओ को वितरीत किया गया।
रचनापाठ में शिरकत करते हुवे सामाजिक कार्यकर्त्ता चारूशीला मौर्य ने स्त्रीमुक्ति प्रधान कहानी "फिरकनी" का पाठ किया। चर्चा में हिस्सा लेते हुवे साहिस्यकार एवं साहित्यप्रेमियो ने रेखांकित किया कि - गत्यात्मक यर्थाथवादी दृष्टिकोण को परिलक्षित करती "फिरकनी" में मनौविज्ञान व समाज शास्त्र का अद्भुत संगम है। कहानी में "फिरकनी" के माध्यम से समाज की गतिशीलता का बखुबी वर्णन किया गया है जिसमे नायिका कंचन एक स्त्री होने के नाते बचपन में भोगे दर्द पीडा भेदभाव का प्रतिकार अपनी लडकी को उसी तरह के दर्द पीडा व भेदभाव का शिकार बनने से बचाकर करती है।
आगे उर्दू लेखक प्रो. हदीस अंसारी अपनी कहानी "गांधी चौक" के माध्यम से हिन्दूस्तानी समाज की एक अन्य समस्या मजहबी फसादो का घिनोना चेहरा बेनकाब करते है। सारगर्भित चर्चा में समीक्षको ने कहानी के केनवास, भाषा विन्यास एवं तकनीकी में किये गये नये प्रयोग की सराहना की। लेखक ने कांता चौधरी एवं अबदुल्ला बाबा नाम के फसाद पिडीत चरित्रो के खामोश आसूओ एवं स्त्री, पुरूष एवं बच्चे की अधजली लाशो के माध्यम से मजहब के नाम पर लडने वाले नासमझो को मजहब के नाम पर लडाने वालो के मंसूबो से आगाह किया है।
चर्चा में हिन्दूस्तानी साहित्य में इन्दौर के प्रमुख हस्ताक्षर श्री विलास गुप्ते व सूर्यकांत नागर के साथ डॉ. कफील अहमद, फय्याज फैज़, फरयाद बहादुर, वरिष्ठ मार्क्सवादी चिंतक देवीप्रसाद मौर्य, जलेस म.प्र. के कार्यकारी अध्यक्ष सनत कुमार, अहमद निसार, प्रदीप मिश्र, रजनी रमण शर्मा, ए जी खान, हिन्दी - मलयालम के प्रसिद्ध लघुकथाकर एन उन्नी, परेश टोकेकर इत्यादि ने भाग लिया।
अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में डॉ. अजीज इन्दौरी ने कहा कि हिन्दी - उर्दू के कवि - शायरो के ही समान हिन्दी - उर्दू के कहानीकारो का भी एक मंच पर लाया जाना एवं एक दूसरे को जानना अत्यंत आवश्यक है जिसकी हिन्दुस्तान में एक पुरानी रवायत रही है।

कोई टिप्पणी नहीं: