
इब्न सीना पुरस्कार, लेनिन शांति पुरस्कार, अफ्रो-एशियन लेखक संघ के लोटस पुरस्कार, फ्रांस के नाईट आफ द आर्टस एंड लेटर्स मेंडल, सांस्कृतिक आजादी के लिये लेनान फाउंडेशन अवार्ड व सोवियत संघ के स्टालिन शांति पुरस्कार सहित अनेको अवार्डो से नवाजे दरवेश का काम लगभग 20 भाषाओ में प्रकाशित किया जा चुका है। आप फिलिस्तीनी मुक्ति संगठन के मासिक जर्नल के संपादक भी रहे। 1987 में दरवेश को पीएलओ की कार्य समिति का सदस्य चुना गया, 1993 में ओस्लो करार के विरोध में आपने अपना इस्तीफा दे दिया।
सारी उम्र फिलिस्तीन जनगण की मुक्ति की आवाज बुलंद करने वाले आजादी के इस आशिक को लाल सलाम।
(पोर्टेट - इस्माइल शेमूत)
2 टिप्पणियां:
परेशजी,
महमूद दरवेश हमारे समय के उन कवियों में से थे जिन्होंने विस्थापन और बेघर होने की यातना ताउम्र झेली। वे उन तमाम विस्थापितों की तरफ से एक तीखे प्रतिरोध के प्रतीक हैं।
adbhut kavi hain. sangharsh, yatna aur sapno ko ek saath rakhte hain
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