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गुरुवार, 4 फ़रवरी 2010

संस्मरण- आर के लक्ष्मण की निगाह में ज्योति बसु


कार्टूनिस्ट आर के लक्षमण की निगाह में-
सबसे मनहूस आदमी थे ज्योति बसु
वीरेन्द्र जैन
कामरेड ज्योति बसु के निधन पर पूरे देश और दुनिया भर की समाजवाद में आस्था रखने वाली पार्टियों ने जिस भावुक ढंग से अपनी श्रद्धांजलियाँ दी हैं उससे पता चलता है कि उनके काम का कितना सम्मान था। किंतु एक कार्टूनिस्ट या व्यंगकार, जो अपनी बांकी शैली के लिये ही जाना जाता है वह अपना सम्मान किस तरह व्यक्त करता है इसे सुप्रसिद्ध कार्टूनिस्ट आर के लक्षमण के एक साक्षात्कार से समझा जा सकता है।
घटना उस समय की है जब राशिपुरम कृष्णास्वामी अय्यर लक्ष्मण – जो आर के लक्ष्मण के नाम से विख्यात हैं, के कार्टून-यू सेड इट- को लगातार प्रकाशन के 50 वर्ष हुये थे और जो पूरी दुनिया में किसी भी कार्टून श्रंखला के लगातार प्रकाशन का विश्व रिकार्ड था तब एक अखबार ने उनका एक साक्षात्कार प्रकाशित किया था। उस साक्षात्कार में देश के विभिन्न राजनेताओं के बारे में बताते हुये श्री लक्षमण ने जब ज्योति बसु को उनके लिये सबसे मनहूस आदमी बताया तो साक्षात्कार लेने वाले पत्रकार ने उनसे अपनी बात स्पष्ट करने को कहा। श्री लक्ष्मण ने कहा कि भारत के राजनेताओं में श्री ज्योति बसु ही ऐसे अकेले राज नेता हैं जिन्होंने लगातार लोक्तांत्रिक ढंग से चुने जाने का विश्व रिकार्ड बनाया है किंतु अपने पूरे कार्यकाल में उन्होंने मुझे कभी कार्टून बनाने का मौका नहीं दिया। यह एक ऐसे व्यक्ति की टिप्पणी थी जिसकी पैनी निगाह का लोहा सारी दुनिया मानती थी और कोई भी विसंगति उसकी निगाह से छूट नहीं पाती थी। यही कारण थे कि ज्योति बसु उन्हें अपने काम की दृष्टि से सबसे मनहूस आदमी लगते थे।
वैसे ज्योति बसु का सेंस आफ ह्यूमर बहुत ही बारीक था। कामरेड सीता राम येचुरी अपने संस्मरण में लिखते हैं कि जब वे उनके साथ क्यूबा की यात्रा पर गये तो एक दिन जब ज्योति बाबू सोने चले गये तब अचानक ही खबर आयी कि सर्वोच्च कमांडर- फिदेल कास्त्रो हमसे मिलना चाहते हैं। इस अचानक आमंत्रण के बाद जब ये लोग उनसे मिलने पहुँचे तो फिदेल कास्त्रो ने लगातार डेढ घंटे तक मीटिंग की और एक के बाद दूसरे सवाल पूछते गये कि भारत में कोयला कितना होता है, स्टील कितना बनता है, सीमेंट कितना होता है इत्यादि। ज्योति बाबू ने धीरे से बंगला में कामरेड येचुरी से कहा- ये मेरा इंटरव्यू ले रहे हैं या क्या कर रहे हैं! जब इस प्रतिनिधि मण्डल को लौटना था तब बिना किसी पूर्व सूचना और कार्यक्रम के फिदेल कास्त्रो उन्हें विदा करने अचानक हवाई अड्डे पर प्रकट हो जाते हैं जिससे इन लोगों के साथ साथ वहाँ का पूरा स्टाफ भी भौंचक्का रह जाता है। ज्योति बाबू कामरेड येचुरी से धीरे से पूछते है कि क्यूबा की क्रांति को कितने साल हो गये?
-चौंतीस- वे उत्तर देते हैं
- पर यह आदमी अभी तक गुरिल्ला टैक्टिस भूला नहीं है- वे कहते हैं। स्मरणीय है कि फिदेल कास्त्रो अपनी गुरिल्ला लड़ाई के लिये दुनिया भर में जाने जाते रहे हैं।
वीरेन्द्र जैन
2/1 शालीमार स्टर्लिंग रायसेन रोड
अप्सरा टाकीज के पास भोपाल मप्र
फोन 9425674629



4 टिप्‍पणियां:

परेश टोकेकर 'कबीरा' ने कहा…

वाकई एक मनहूस आदमी, कैसा राजनीतिक करियर? इतना लंबा शासनकाल होने के बावजुद किसी भ्रष्टाचार के मामले में लिप्तता न होना, पार्टी के अनुशासन में रहना और अनुशासन के लिये प्रधानमंत्री के पद को ठुकरा देना, जनता की आवाज बुलंद करते रहना, ये भी कोई कैरीयर हुवा क्या? यही कारण है कि मिडिया में लगातार ज्योति बाबु और वामपंथियों पर अनर्गल लांक्षन लगाने का प्रक्रम चला रखा है।
उधर बंळलबाज दिलीप मंळल व उनके मंळलीबाज अविनाश ज्योति बाबु को इलिट हिन्दू सवर्ण बताकर श्रद्वाजली दे रहे हैं, तो नईदुनिया बसु की मृत्यु पर प्रथम पृष्ट पर सिद्घांर्थ शंकर राय की बसु के खराब राज के बारे में राय छाप रहा था। उधर पद्मश्री आलोक मेहता अपने आकाओं के तलवे चाटते हुवे नईदुनिया में ज्योति बाबु को सोमनाथ दा से तोलने की भोंडी कोशिश करते हुवे नजर आते है।
इन्हें क्या मतलब आर के लक्ष्मण के इत्तेफाक से।
जय हो!

बेनामी ने कहा…

परेश भाई मजा आ गया। सटीक तरीके से तुमने सही बात पकड़ी। सचमुच आर.के लक्ष्मण जैसे कार्टूनिस्ट की टिप्पणी हम सबको हौसला देती है। - प्रदीप मिश्र।

Randhir Singh Suman ने कहा…

nice

प्रदीप कांत ने कहा…

परेश,


मुझे एक शेर याद आ गया (शकील आज़मी)

जब भी मिलते हो मुस्कुराते हो

इतनी खुशियाँ कहाँ से लाते हो

ये भी ठीक एसा ही है -

एसे आलेख किस तरह लिखाते हो?