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शनिवार, 13 फ़रवरी 2010

उम्मीद-ए-सहर

फैज़ याने एशिया का नेरूदा या नेरूदा याने लैटिन अमरीका का फैंज! सर्वहारा के सुर्ख लाल झंडे पर चमकते दो प्यारे सितारे। फैज़ और नेरूदा की रचनाये देशकाल से निकलकर अपने फन के दायरे में पुरी दुनिया को समा लेती हैं। दोनो ने कलम के साथ-साथ अपने कर्म से भी ताउम्र सर्वहारा की आवाज बुलंद की, जिसकी सजा साम्राज्यवाद के नुमांईदो ने इन्हें सलाखो के पिछे डालकर दि।

फैज़ निर्विवाद रूप से कान्टीनेन्ट के लिजेंन्डरी आईकान है, साथ ही फैज़ कान्टीनेन्ट की उस प्रोग्रेसीव रवायत के झंड़ाबरदार रहे है जिसकी तवारीख में अहमद फराज़, कैफी आजमी, हबीब जालिबी, मुक्तिबोध, पाश, धुमिल, अली सरदार जाफरी, इब्ने इंशा जैसे बुलंद शायर कवीयों ने तो किस्सागोई की दुनिया से मुंशी प्रेमचंद जैसे अदीबो ने अपनी नुमांईदगी दर्ज करायी। फैज़ आज भी उस कड़ी का नाम है जो एक तरफ सरहदो में पटे पड़े, एक दुसरे के खुन के प्यासे कान्टीनेन्ट को जोड़ता है तो दुसरी तरफ सरमायादारों की लुट की हवस को चुनौती देते हुवे सर्वहारा को उम्मीद-ए-सहर की बात सुनाता है।
सर्वहारा के शायर को 99वी सालगिरह पर लाल सलाम!

اُمیدِ سحر

جگر دریدہ ہوں چاکِ جگر کی بات سنو
اُمیدِ سحر کی بات سنو

الم رسیدہ ہوں دامانِ تر کی بات سنو
اُمیدِ سحر کی بات سنو

زباں بریدہ ہوں زخمِ گلو سے حرف کرو
اُمیدِ سحر کی بات سنو

شکستہ پا ہوں ملالِ سفر کی بات سنو
اُمیدِ سحر کی بات سنو

مسافرِ رہِ صحرائے ظلمتِ شب سے
اب التفاتِ نگارِ سحر کی بات سنو

سحر کی بات،
اُمیدِ سحر کی بات سنو


उम्मीद-ए-सहर

जिगर दारीदा हूँ, चाक-ए-जिगर कि बात सुनो
उम्मीद-ए-सहर कि बात सुनो

अलम रसीदा हूँ, दामन-ए-तर कि बात सुनो
उम्मीद-ए-सहर कि बात सुनो

ज़ुबा बुरीदा हूँ, ज़ख्म-ए-गुलू सेय हर्फ करो
उम्मीद-ए-सहर कि बात सुनो

शिकस्ता पा हूँ, मलाल-ए-सफर कि बात सुनो
उम्मीद-ए-सहर कि बात सुनो

मुसाफिर-ए-रह-ए-सेहरा-ए-ज़ुल्मत-ए-शब से
अब इल्तफात-ए-निगार-ए-सहर कि बात सुनो

सहर कि बात, उम्मीद-ए-सहर कि बात सुनो


Listen to the hope of new drawn


My heart is torn
Hear the wounds of my heart
listen to the hope of new dawn

im stricken with grief
listen to my being soaked with tears
listen to the hope of new dawn

My tongue is dry im unable to talk
talk to my gaping wounds
listen to the hope of new dawn

My feet are tired
Listen to the sorrow of my journey
Listen to the hope of new drawn

from the one who travel in the dark desert of tyranny
hear him speak of the beauty of drawn
hope of a new drawn

my heart is torn
hear the wounds of my heart
listen to the hope of new drawn

im stricken with grief
listen to my being soaked with tears
listen to the hope of new drawn

My tongue is dry im unable to talk
talk to my gaping wounds
listen to the hope of new dawn

My feet are tired
Listen to the sorrow of my journey
Listen to the hope of new drawn

(अंग्रेजी अनुवाद पाकिस्तानी बैंड़ 'लाल' के सौजन्य से! लाल बैंड़ ने दो वर्ष पुर्व फैज़, जालिबी व अन्य तरक्कीपसंद शायरों के गीतो का एक एलबम निकाला था, जिसे अच्छी खासी शोहरत हासिल हुवी।)

3 टिप्‍पणियां:

Randhir Singh Suman ने कहा…

लाल सलाम!nice

शरद कोकास ने कहा…

बहुत खूबसूरत प्रस्तुति ।

प्रदीप कांत ने कहा…

जिगर दारीदा हूँ, चाक-ए-जिगर कि बात सुनो
उम्मीद-ए-सहर कि बात सुनो

हम तो सुन रहे हैं बाकी का पता नहीं है।