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रविवार, 30 मई 2010

माओवादी उग्रवादीयों को प्रश्रय दे रही है रेलमंत्री

ममता बनर्जी रेलमंत्री के रूप में अपनी जिम्मेदारियों का ईमानदारी से निर्वाह करने के स्थान पर दिल्ली की रेलगाडी के सहारें बंगाल विधानसभा की वेतरणी पार करने का ख्वाब देखते हाथ पर हाथ धरे बैठी हुवी है। उल्टा चोर कोतवाल को ड़ाटे मुहावरे को चरितार्थ करते हुवे जिम्मेदारीयों से पल्ला झाड़ अपनी विफलताओं का दोष विराधियों पर मढ़ना ऊँटपटांग झुठी बयानबाजी के लिये कुख्यात रेलमंत्री की पुरानी आदत हैं, उधर गठबंधन धर्म के निर्वाह के नाम पर संप्रग-२ सरकार अपने मंत्रियों की विफलताओं को नजरअंदाज करने के लिये मजबुर है। अभी मई के पहले पखवाड़े दिल्ली रेलवे स्टेशन भगदड़ में हुई मौतो के लिये कोई ओर नहीं मिला तो रेलमंत्री ने लोगो को ही जिम्मेदार ठहरा दिया, मई की शुरूआत में मुंबई मोटरमेंन हडताल के मामले में संसद में उपस्थित हो वक्तव्य देने के स्थान पर हड़ताल को माकपा की साजिश बताकर कलकत्ता में ही प्रेस कांफ्रेंस करती रही। उधर रेलमंत्री की अनुपस्थिती में उनके प्रतिनिधी सुदीप बंदोपाध्याय वेटरन वामपंथी नेता वासुदेव आचार्य को संसद में गालिया देते सुनाई दिये, इसके बाद तो देश में गालीगलौज का एक सिलसिला ही चल पड़ा। अभी पिछले वर्ष की ही घटना है पी.सी.पी.ए. ने पश्चिमी मिदनापुर के बनस्तला हॉल्ट पर भुवनेश्वर राजधानी एक्सप्रेस का अपहरण कर साढ़े सात घंटे तक रोके रखा था, आनन-फानन में रेलमंत्री ने इस अपहरण का आरोप मार्क्सवादीयों पर मढ़ दिया। ममता की नोटंकी का पटापेक्ष पी.सी.पी.ए. द्वारा अपने नेता छत्रधर महतो की रिहाई की मांग से हुआ, अपहरणकर्ताओं के विरूद्घ ठोस कार्यवाही करने के स्थान पर ममता मिड़ीया में माकपा को पानी पी-पीकर कोसती रही वही पर्दे के पिछे उग्रवादीयों पर अपनी ममता बिखेरकर बातचीत की पेशकश करती नजर आयी, इसपर एफ.आई.आर. में पी.सी.पी.ए. या नक्सलियों का कोई जिक्र तक नहीं किया गया। ज्ञातव्य रहे कि माओवादी-तृणमूल कांग्रेस-एस.यू.सी.आई.-एन.जी.ओ.-बुद्घिजीवीयो द्वारा समर्थित पी.सी.पी.ए. प्रमुख छत्रधर महतो पूर्व में तृणमूल कांग्रेस का सक्रिय नेता रहा है, तथा सिंगुर-नंदीग्राम-लालगढ़ में वाममोर्चे की औद्योगिकीकरण मुहिम विरोधी आंदोलन में तृणमूल कांग्रेस का प्रमुख सहयोगी। झारग्राम रेल हादसे के तुरंत बाद रेलमंत्री ने बगैर एक भी पल गवाये हादसे की पुर्ण जिम्मेदारी राज्य सरकार पर डाल दी। तत्पश्चात माओवादीयो को क्लीन-चीट देते हुवे अपने धुर विरोधीयो मार्क्सवादीयों को ही इस हादसे का आरोपी ठहराया। उधर पी.सी.पी.ए. प्रवक्ता असीत महतो ने ममता की हॉं में हॉं मिलाते हुवे घटना के पिछे माकपा का हाथ होने का दावा करते हुवे कहा कि ''माकपा ममता बनर्जी को राजनीतिक रूप से अलगथलग करना चाहता है इस घटना को इसलिये अंजाम दिया गया ताकी कैंद्र सरकार के दिशानिर्देश से ममता को रेलमंत्री के पद से इस्तीफा देना पडे''। राजधानी अपहरण कांड की ही तरह झारग्राम हादसे में रेलवे द्वारा दायर एफ.आई.आर. में भी पी.सी.पी.ए. का कोई जिक्र नहीं किया गया है। ममता समर्थित बुद्घिजीवी भी इस अवसर को भुनाने में पिछे नहीं रहे तथा अपने बौद्घिक विरोधियो से हिसाब चुकाते नजर आये। यह भी ज्ञात रहे कि तथाकथित माओवादी-नक्सवादीयो नें लोकसभा चुनावो के बाद से अब तक 150 से अधिक माकपा कार्यकर्ताओं-नेताओं-समर्थको को मौत के घाट उतार दिया है। उधर तृणमूल सासंद-मंत्री, एन.जी.ओं. एवं तथाकथित बुद्घिजीवी पी.सी.पी.ए. व सी.पी.आई(माओवादी) के उग्रवादीयों को धन-हथियार व नैतिक समर्थन मुहैया करवाने का काम कर रहे है, तृणमूल सांसद व गायक कबीर सुमन ने तो माओवादीयों के समर्थन में म्यूजिक एलबम तक जारी किया है। अपने क्षुद्र स्वार्थ की पूर्ति के लिये दीदी ने न केवल भारत की जीवनरेखा व उसमें सवारी करने वाली गरीब जनता की जान को दाव पर लगा रखा है वरन् माओवादी उग्रवाद को प्रश्रय देकर विखंडनकारी ताकतो को अपनी जडे मजबुत करने में मदत कर देश की अखंडता को भी खतरे में डाल दिया है।

1 टिप्पणी:

प्रदीप कांत ने कहा…

दोष देने के बजाय समस्या का हल खोजा जाए तो बेहतर होगा।