जलेस की पत्रिका नया-पथ पढने के लिये क्लिक करे!

मंगलवार, 9 नवंबर 2010

स्याहफाम सौदागर

स्याहफाम सौदागर
मजदूर की आंख में रोजी का सपना
भूखे की आंख में रोटी का सपना
बरहना की आंख में कपड़े का सपना
बेघर की आंख में मकान का सपना
किसान की आंख में मानसून का सपना
तालिब इल्म की आंख में तरक्की का सपना
दुनिया की इस सबसे बड़ी ख्वाबिदा मंड़ी में
सपनों के करोडों सौदो का हसीन सपना संजोये
कल सपनों का स्याहफाम सौदागर आया था
अपने सपने को हकीकत में बदलने।

बहुत धन्यवाद जय-हिन्द
उसने रोजी मांगी
हम हसते-हसते बेरोजगार हो गये
उसने रोटी मांगी
हम हसते-हसते दाने-दाने को मोहताज हो गये
उसने गिरवी पड़ा मकान मांगा
हम हसते-हसते बेघरबार हो गये
उसने कपड़ा मांगा
हम हसते-हसते दिगम्बर तक हो लिये
हमने इक अपना हक मांगा
वो हसते-हसते बोला सूपरपॉवर बहुत धन्यवाद जय-हिन्द।

हत्यारा
गगनचुम्बी इमारते, मॉल, तकनीकी
विलासिता का हसीन मायाजाल

साम्राज्यवादी अर्थविदों का अनगढ
नास्त्रेदेमस भविष्यवाणीयों का चक्रव्यूह

लहुलुहान फिलीस्तीन-अफगान-इराक
विषैला नागासाकी-भोपाल-विएतनाम

भूखी-प्यासी-नंगी तीसरी दुनिया
दाने-दाने को मोहताज

खुदकुशी के ताल पे थिरकती
किसानों की जान

मुक्त-बाजार का कोलाहल और
आज का सबसे कीमती जिंन्स
यतीम सताये हुवे बच्चे और उनकी
बेवा मां के आंख से उतरता खूं

खूं से वजू कर रहें
तुम भी तो हो
महात्मा गांधी-मार्टिन लूथर किंग जूनियर
के हत्यारे।